विशाल भंडारे के साथ हुआ श्रीराम कथा का समापन
वसुंधरा स्थित मेवाड़ संस्थान में मानस मर्मज्ञ संत अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्रीराम कथा के अंतिम दिन राम-भरत मिलाप, सूर्पनखा, सीता हरण, शबरी, जटायु, सुग्रीव, हनुमान, राम सेतु, बाली युद्ध, रावण युद्ध के महत्वपूर्ण प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा का विधिवत समापन विशाल भंडारे के साथ हुआ।

 

मानस पूजन के बाद कथा को आगे बढ़ाते हुए मानस मर्मज्ञ ने कहा कि भगवान ने आदिवासियों के बीच जाकर उनमें सामाजिक रूप से एकसमान, एकजुट और समरस होने का समाज को संदेश दिया। पशु-पक्षियों को भी साथ लिया और उनके प्रति आदरभाव प्रगट किया। गोस्वामी तुलसीदास को भी भगवान राम चित्रकूट में ही मिले। भगवान बहुत शक्तिशाली थे, राम स्वयं राजा दशरथ के पुत्र थे, चाहते तो रिश्तेदारों की मदद से रावण का समूल नाश कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। एक सामान्य मानव बनकर मर्यादा का पालन करते हुए वंचित समाज को साथ लेकर अपनी विजय सुनिश्चित की।

 

श्रीराम कथा के अंतिम दिन जजमान डॉ. अशोक कुमार गदिया, महासचिव अशोक कुमार सिंघल, निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल, त्रिलोक सिंह, पूर्व विधायक कृष्णवीर सिंह सिरोही, श्याम सुंदर अग्रवाल, अजय गुप्ता, योगेश नंदवानी, वैश्य समाज वसुंधरा के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल, महासचिव पुनीत मित्तल आदि मौजूद रहे। कुशल संचालन कवि डॉ. चेतन आनंद ने किया।