डेबिट-क्रेडिट कार्ड व पेटीएम के जरिये लोगों के खाते खाली करने वाले जालसाजों के निशाने पर अब फास्टैगधारक भी आ गए हैं। साइबर ठगों ने फास्टैग कर्मचारी बनकर लोगों को चूना लगाना शुरू कर दिया है। ऐसे ही एक मामले में जींस कारोबारी की पत्नी के खाते से 1.13 लाख रुपये उड़ गए। पीड़िता केमुताबिक, उन्हें फास्टैग में मोबाइल नंबर अपडेट कराना था। कॉलर ने एक एप डाउनलोड करने के लिए कहा। एप की आईडी बताते ही खाते से रुपये कटने शुरू हो गए।
राजनगर एक्सटेंशन की सांगवान हाईट सोसायटी में रहने वाले विजय गुप्ता जींस कारोबारी हैं। उनकी पत्नी तपस्या गुप्ता हाउस वाइफ हैं। तपस्या के मुताबिक, उनका खाता एसबीआई में है, जिस पर क्रेडिट कार्ड भी इश्यू करा रखा है। उनका कहना है कि वह जो कार चलाती हैं, वह उनकी भाभी के नाम पर है। गाड़ी पर लगा फास्टैग उनके नाम पर है।
टोल प्लाजा से गुजरते ही फास्टैग का बैलेंस उन्हीं के खाते में आता था। तपस्या का कहना है कि वह चाहती थीं कि फास्टैग में उनका मोबाइल नंबर एड हो जाए, ताकि टोल प्लाजा से गुजरने पर बैलेंस का मैसेज उनके मोबाइल पर आए। तपस्या ने इस संबंध में अपनी भाभी से बात की तो उन्होंने कहा कि वह फास्टैग में क्वेरी डाल देंगी, इसके बाद उनके पास फास्टैग से कॉल आएगी।
एप डाउनलोड कराई, आईडी पूछकर खाते से उड़ा दी रकम
पीड़िता का कहना है कि उनके पास फास्टैग से कॉल आई। उन्होंने फास्टैग पर नंबर एड कराने के लिए पूछा तो कालर ने टीम व्यूवर क्विक सपोर्ट एप डाउनलोड करने के लिए कहा। एप डाउनलोड करने के बाद कॉलर ने एप पर आई आईडी बताने को कहा। आईडी बताते ही खाते से पैसे कटने शुरू हो गए। कुल मिलाकर उनके क्रेडिट कार्ड से एक लाख 13 हजार 998 रुपये कट गए।
थाने में फास्टैग से जुड़ा पहला मामला दर्ज हुआ है। केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। आरोपियों तक पहुंचने के लिए साइबर सेल से मदद ली जा रही है।
- गजेंद्र पाल सिंह, एसएचओ, सिहानी गेट
फास्टैग सेवा देना वाली कंपनियां ही ठगी या पैसा कटने के मामलों में उत्तरदायी हैं। एनएचएआई सिर्फ टोल पर गलती से पैसा कटने के लिए जिम्मेदार है।
- मुदित गर्ग, डीजीएम एनएचएआई
राजनगर एक्सटेंशन की सांगवान हाईट सोसायटी में रहने वाले विजय गुप्ता जींस कारोबारी हैं। उनकी पत्नी तपस्या गुप्ता हाउस वाइफ हैं। तपस्या के मुताबिक, उनका खाता एसबीआई में है, जिस पर क्रेडिट कार्ड भी इश्यू करा रखा है। उनका कहना है कि वह जो कार चलाती हैं, वह उनकी भाभी के नाम पर है। गाड़ी पर लगा फास्टैग उनके नाम पर है।
टोल प्लाजा से गुजरते ही फास्टैग का बैलेंस उन्हीं के खाते में आता था। तपस्या का कहना है कि वह चाहती थीं कि फास्टैग में उनका मोबाइल नंबर एड हो जाए, ताकि टोल प्लाजा से गुजरने पर बैलेंस का मैसेज उनके मोबाइल पर आए। तपस्या ने इस संबंध में अपनी भाभी से बात की तो उन्होंने कहा कि वह फास्टैग में क्वेरी डाल देंगी, इसके बाद उनके पास फास्टैग से कॉल आएगी।
एप डाउनलोड कराई, आईडी पूछकर खाते से उड़ा दी रकम
पीड़िता का कहना है कि उनके पास फास्टैग से कॉल आई। उन्होंने फास्टैग पर नंबर एड कराने के लिए पूछा तो कालर ने टीम व्यूवर क्विक सपोर्ट एप डाउनलोड करने के लिए कहा। एप डाउनलोड करने के बाद कॉलर ने एप पर आई आईडी बताने को कहा। आईडी बताते ही खाते से पैसे कटने शुरू हो गए। कुल मिलाकर उनके क्रेडिट कार्ड से एक लाख 13 हजार 998 रुपये कट गए।
थाने में फास्टैग से जुड़ा पहला मामला दर्ज हुआ है। केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। आरोपियों तक पहुंचने के लिए साइबर सेल से मदद ली जा रही है।
- गजेंद्र पाल सिंह, एसएचओ, सिहानी गेट
फास्टैग सेवा देना वाली कंपनियां ही ठगी या पैसा कटने के मामलों में उत्तरदायी हैं। एनएचएआई सिर्फ टोल पर गलती से पैसा कटने के लिए जिम्मेदार है।
- मुदित गर्ग, डीजीएम एनएचएआई