मेरी औलाद पढ़ रही होती तो कहता क्लास करोः प्रो. अर्शी

एएमयू का माहौल सामान्य करने की ओर यहां के राजनीति विज्ञान के शिक्षक प्रो. अर्शी खान का छात्रों को समझाने का आडियो क्लिप का भी हाथ माना जा रहा है। इसमें वह कह रहे हैं कि शिक्षा छात्रों की ताकत है। अगर मेरी औलाद भी पढ़ रही होती तो वह कहते कि क्लास करो, साथ ही धरना भी दो। माना जा रहा है कि इसके वायरल होने से छात्रों को कुछ सटीक बातें समझ में आई। शिक्षक की बात का छात्रों पर सकारात्मक असर हुआ।


इस क्लिप में एक छात्र स्वयं को ला फैकल्टी का मजहर बता रहा है और कह रहा है कि मेरे तीन सवाल हैं। पहला यह कि यह साइने डाई (अनिश्चितकालीन बंदी) की बात हो रही है तो क्या यह सही है। इस पर प्रो. अर्शी कहते हैं कि यह हकीकत है। क्योंकि वीसी के ऊपर काफी दबाव है। क्योंकि यूनिवर्सिटी में एक गतिरोध की स्थिति आ गई है। इससे काफी जटिलताएं पैदा हो गई हैं। इसलिए साइनेडाई की खबर सही है। क्योंकि अगर यहां पर
कोई बात होती है तो पुलिस को काफी इन्वाल्व होना पड़ता है। यह पुलिस फोर्स आसपास के इलाकों से भी है। पूरे यूपी में आंदोलन हो रहे हैं। पुलिस भी नहीं चाहती है कि वह ज्यादातर इन्वाल्व रहें। ऐसे में अगर यूनिवर्सिटी बंद होती है तो फोर्स को भी राहत देना वाला रहेगा।
जो मुल्क के हालात हैं, जो रातनीतिक वातावरण हैं, उसमें जो दबाव की बात है वह सही है।
छात्र कहता है कि तो क्या छात्रों का एक साल खराब हो सकता है। इस पर प्रो. अर्शी कहते हैं कि हर छात्र का अपना कैल्क्यूलेशन होता है। उसका नुकसान वह अपने अपने आधार पर करता है। छात्रों के साथ साथ एएमयू को नुकसान होगा।
छात्र तीसरा सवाल पूछता है कि परीक्षा बायकाट को लेकर व्यक्तिगत स्टैंड क्या है? इस पर प्रो. अर्शी कहते हैं कि छात्रों का दर्द पूरी तरह जायज है। लेकिन अब यह है कि इसका इलाज क्या है? हर आदमी चाहता है कि सौ फीसदी या पचास फीसदी समाधान निकले। लेकिन अभी 50 फीसदी भी समाधान नहीं आ रहा है। आपके पास जो विकल्प है, जो बुद्धिमानी है, वह यह है कि कक्षाएं करें और धरना भी दें।
बीमारी है तो बीमारी का इलाज करने को कई तैयार नहीं। तो आदमी स्वयं ही इलाज करेगा। मेरा छात्रों से निवेदन है कि अगर मेरी औलाद होती यहां पढ़ रही होती तो यह भी कहते कि गुस्सा थूक दो। अपना करियर दांव पर नहीं रखता है। छात्रों की ताकत उनकी शिक्षा है। अगर छात्र यह फैसला लेते हैं कि हम धरना भी देंगे और क्लास भी करेंगे तो यह छात्रों की हार नहीं बल्कि जीत होगी। इसका फायदा छात्र को होगा।