गाज़ियाबाद में आज से स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 का काम शुरू हो गया है। सर्वेक्षण के काम में लगी टीम शहर के विभिन्न इलाकों का दौरा कर वहाँ हो रही साफ-सफाई की जांच करेगी। नगर निगम के सभी बड़े अधिकारियों का प्रयास है कि सर्वे टीम केवल उन इलाकों में ही जाए जहां निगम ने थोड़ा-बहुत काम किया है। निगम के कुछ अधिकारी शहर के विभिन्न औद्योगिक व व्यापारिक संगठनों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे अपने-अपने इलाके में स्वच्छता के संदेशों का प्रचार-प्रसार करें। जबकि नगरायुक्त और अन्य बड़े अधिकारी खुद हाथ में झाड़ू लेकर फोटो खिंचवा रहे हैं।
जबकि हकीकत यह है कि शहर के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो शहर के ज़्यादातर गली-मुहल्ले गंदगी से अटे पड़े हैं। कैला भट्टा, नन्द नगरी, चिरंजीव विहार, पटेल नगर, बौंझा, शिब्बनपुरा, मुकंद नगर, नेहरू नगर, राज नगर, संजय नगर, वसुंधरा और वैशाली आदि कुछ ऐसे इलाके हैं जहां खुद निगम के कर्मचारी जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा तो देते हैं मगर वहाँ एकत्र कूड़े का भगवान ही मालिक है।
औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति सबसे खराब
गाज़ियाबाद के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से हर साल निगम को संपत्ति कर के रूप में करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त होता है मगर शहर में सबसे ज्यादा गंदगी आपको औद्योगिक क्षेत्रों में ही मिलेगी। रात के अंधेरे में अकसर खुद नगर निगम के कर्मचारी शहर भर की गंदगी को औद्योगिक क्षेत्रों से सड़कों के किनारे और खाली प्लाटों पर फेंक कर भाग जाते हैं।
बुलंदशहर औद्योगिक क्षेत्र में हाईवे के बराबर वाली सड़क कूड़े से भरी पड़ी है। इस बारे में नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है मगर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इसी औद्योगिक क्षेत्र में ऐसे कई खाली प्लॉट पड़े हैं जो नगर निगम की बदौलत अब कूड़ाघरों में तब्दील हो गए हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति साहिबाबाद, मेरठ रोड और पांडव नगर औद्योगिक क्षेत्रों की है।
जनसुनवाई भी हुई बेकार
गाज़ियाबाद नगर निगम के अधिकारियों की हठधर्मिता की वजह से जनसुनवाई जैसी महत्वपूर्ण और कारगर शिकायत प्रणाली भी गाज़ियाबाद में नाकारा साबित हो रही है। जनसुनवाई के माध्यम से निगम को हर दिन दर्जनों शिकायतें प्राप्त होती है मगर अधिकांश मामलों में निगम के कर्मचारी शिकायतों का निस्तारण कागजों पर ही कर देते हैं। हालांकि गलत निस्तारण के बाद शिकायत करने वाले के पास फीडबैक देने का विकल्प होता है मगर फीडबैक पर क्या कार्यवाही हुई, इसकी जानकारी अधिकारियों तक ही सीमित रहती है।
कवि नगर ज़ोन में जनसुनवाई के ऐसे ही एक मामले को जब नगर निगम के अधिकारियों ने बिना कोई कार्यवाही के निस्तारित कर दिया। हमारा गाज़ियाबाद की टीम ने जब इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की तो उन्होंने तत्काल मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दे दिए। निगम के अधिकारियों ने अपनी जांच में ज़ोन के अधिकारियों को बचा कर एक निचले स्तर के कर्मचारी को निलंबित करने की संस्तुति कर दी। जबकि हकीकत यह है कि निगम के कर्मचारी अधिकारियों के आदेश के बिना पत्ता तक नहीं हिला सकते। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि गंदगी के जिस ढेर के बारे में शिकायत की गई थी, वह जस का तस पड़ा आवारा जानवरों की क्रीड़ास्थली बना हुआ है।