हिन्दी सिनेमा में सालों तक प्रेम कहानियां फिल्म की 'रीढ़ की हड्डी' रही हैं। कहानी के खत्म होते-होते हीरो हीरोइन से मिल ही जाता है। बीच में कोई गुंडा या विलेन होता है या लड़की के पिताजी गले की हड्डी बन जाते हैं। 'मुगल-ए-आजम' में शहंशाह अकबर ने अनारकली और सलीम के प्यार में खूब रोड़े अटकाए, लेकिन इसके बावजूद हीरो हीरोइन मिले, पेड़ के आसपास गाना गाए और देखते-देखते तीन घंटे बीत गए- द एंड। लेकिन अब इस प्यार को लग गया है झटका।
आज की फिल्मों में खत्म हो रही हैं प्रेम कहानियां